यूरोपीय कंपनियों का भारत आगमन। पुर्तगाली। सामान्य अध्ययन
पुर्तगालियों का भारत आगमन ।यूरोपीय कंपनियों के आगमन का क्रम

यूरोपीय कंपनियों का आगमन-
यूरोप गरम मसालों के लिए दक्षिण पूर्वी एशिया पर निर्भर था तथा भारत इसके लिए उचित स्थान था इसी प्रयास में कोलंबस स्पेन से भारत के लिए समुद्री मार्ग खोज के लिए निकला परंतु 1492 में अमेरिका पहुंच गया 1497 में पुर्तगाली कैप्टन वास्कोडिगामा पुर्तगाल से चलकर उत्तमाशा अंतरीप पास करता हुआ 20 मई 1498 में अब्दुल मुनीद की सहायता से कालीकट जा पहुंचा कार भारत के लिए नया यूरोपीय समुद्र मार्ग खोजा गया इसे केप ऑफ गुड होप मार्ग कहा गया |
यूरोपीय कंपनियों6 के आगमन का क्रम-
पुर्तगाली ,डच ,अंग्रेज ,डेनिश ,फ्रांसीसी
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पुर्तगालियों का भारत आगमन
पुर्तगाली– वापस जाते समय जो मसाला ले गया उससे उसने 60 गुना अधिक मुनाफा कमाया जिससे व्यापारियों को प्रोत्साहन मिला 1502 में पुनः तथा कोचीन में पहली फैक्ट्री स्थापित की 1505 में कन्नूर में दूसरी फैक्ट्री स्थापित की श्री जगत के होने वाले संपूर्ण व्यापार पर एकाधिकार के उद्देश्य से 1505 में एक नई नीति बनाई गई गवर्नर 3 वर्ष के लिए अलमीडा बना ।
वास्कोडिगामा तीसरी बार 1524 को पुर्तगाली वायसराय के रूप में भारत आया तथा यहीं 1524 में कोचीन में मृत्यु हो गई ,1509 में अलमीरा ने गुजरात मिश्र तुर्की के संयुक्त बड़े को हराकर हिंद महासागर की सर्वाधिक शक्तिशाली सेना के रूप में स्थापित किया अल्बूकर्क भारत आया इनमें प्रथम दूर का निर्माण कराया इसे ही पुर्तगाली सत्य की वास्तविक न्यू डालने वाला कहा गया।
1510 में गोवा पर अधिकार किया जो कि बीजापुर में सुल्तान के अधीन था यह मुसलमानों को बहुत परेशान करता था इसने अपने क्षेत्र में सती प्रथा बंद करवा दी नीनो डी कुन्हा ने 1530 में शासन का मुख्य केंद्र कोचिंग के स्थान पर गोवा बना दिया इसने श्रीलंका के अधिकांश भाग पर कब्जा किया 1661 में राजकुमारी कैथरीन का विवाह हुआ तथा मुंबई को दहेज के रूप में दिया गया।
** प्रिंटिंग प्रेस 1556 की स्थापना भारत में पुर्तगालियों ने की।
*मुख्य बिंदु–
अल्बूकर की मजार -गोवा
वास्कोडिगामा की समाधि -कोचीन
पहला किला निर्माण -गोवा
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