यूरोपीय कंपनियों का आगमन । डच एवं डैनिश का इतिहास

यूरोपीय कंपनियों का आगमन का क्रम-

यूरोपीय कंपनियों का आगमन का क्रम निम्न लिखित है,पिछले लेख में हमने चर्चा की थी कि पुर्तगालियों के भारत आगमन का इतिहास।

पुर्तगालियों के भारत आगमन का इतिहास संक्षेप में पढ़ने के लिए click here

आज हम सब पढ़ेंगे डच एवं डैनिश के आगमन का इतिहास…

डचों का भारत आगमन-


यह नीदरलैंड या हॉलैंड के निवासी थे कार्नेलियस के नेतृत्व में पहला टच अभियान 1596 में सुमात्रा एवं बेटम में पहुंचा 1602 में डच संसद ने यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ नीदरलैंड की स्थापना की ।डचों के आगमन के समय पुर्तगालियों का पूरे व्यापार का एकाधिकार था तथा डच भी मसालों के लिए इंडोनेशिया मसाला द्वीपपुंज पर निर्भर था।

पुर्तगालियों का डचों से संघर्ष अपरिहार्य था 1605 में डचों ने पुर्तगालियों को हराकर धीरे-धीरे मसाला द्वीप पुंज,मलक्का तथा सीलोन पर अधिकार कर लिया। 1627 में बंगाल के पीपली में पहली फैक्ट्री स्थापित की ।कोचीन व कन्नूर डचों के प्रमुख व्यापारिक केंद्र थे । डचों ने भारत से पुर्तगालियों को समुद्री व्यापार से निष्कासित तो कर दिया परंतु अंग्रेजों के सामने नहीं टिक करके 1759 में वेदरा का युद्ध से डचों का भारत से पतन हो गया जिसका कारण कमजोर नौशक्ति थी।

अंग्रेजों का भारत आगमन-


1597 में जॉन मिन्डेनहॉल भारत आया था तथा वापस जा कर एक व्यापारी ग्रुप बनाया जिसका नाम मर्चेंट एडवेंचरस रखा है इस ग्रुप नें महारानी एलिजाबेथ टेलर प्रथम से व्यापार करने की अनुमति ली और यह अनुमति 15 वर्षों के लिए थी तथा नाम रखा ईस्ट इंडिया कंपनी । पहले समुद्री यात्रा 1601 से 1603 के बीच में की इसी वर्ष इंडोनेशिया के मसाला द्वीप गए। 1608 में कैप्टन हॉकिन्स हेक्टर नामक जहाज से सूरत पहुंचा तथा यही एक व्यापारिक कोठी स्थापित की।

इस कोठी को गोदाम या कारखाना कहते थे शाही कृपा की दृष्टि से तुर्की व फारसी भाषा में लिखा पत्र लेकर हापकिंस जहांगीर के दरबार पहुंचा। 1611 में हॉकिन्स लौट गया। 1613 में जहांगीर ने सूरत की स्थाई कोठी को अनुमति दे दी। 1615 में पुनः जेम्स प्रथम ने टामस रो को मुगल दरबार भेजा । टामस रो जहांगीर की कृपा पाने में सफल रहा ,1623 तक सूरत ,भड़ौच, अहमदाबाद, आगरा और अजमेर में कोठियाँ स्थापित कर ली ।यह सभी कोठियां सूरत के प्रेसिडेंट के नियंत्रण में रख दी ।

।1640 में मद्रास नगर की स्थापना की और आत्मरक्षा हेतु एक दुर्ग बनाया। फोर्ट सेंट जॉर्ज दुर्ग का नाम रखा गया । 1627 में कंपनी का मुख्यालय सूरत से मुंबई लाया गया कालिकता सूतानती ,वह गोविंदपुर तीनों के क्षेत्र पर कलकत्ता की स्थापना की गई। सूतानती की किलेबंदी कोठी का नाम फोर्ट विलियम रखा गया ,इसी प्रकार 80 वर्ष के अंतराल पर तीन प्रमुख बंदरगाह मुंबई ,मद्रास और कोलकाता पर अधिकार कर लिया गया ।

विलियम हैमिल्टन ने फर्रूखसियर को भयंकर रोग लाभ में स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया जिससे प्रसन्न होकर बादशाह ने कंपनी के व्यापार को कर मुक्त कर दिया तथा मुंबई की टकसाल से जारी सिक्कों को मुगल राज्य में मान्यता मिल गई और आर्म ने इस फरमान को मैग्नाकार्टा कहा ।

यूरोपीय कंपनियों का आगमन

प्रमुख युद्धों की सूची-


प्लासी के युद्ध-1757
बेंदरा का युद्ध-1759
वाडीवास का युद्ध-1760
पानीपत 3rd- 1761
बक्सर का युद्ध -1764

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