रेलवे लाइन के किनारे खम्भों में लिखे अंको का क्या मतलब होता है?और यह आपके लिए किस प्रकार बेहद जरूरी है?
रेलवे लाइन के किनारे खम्भों में लिखे अंको का क्या मतलब होता है जानते हैं इस लेख में
……………भारतीय रेलवे को देश की जीवन रेखा कहा जाता है। यह न केवल यात्रियों और सामानों का परिवहन करता है, बल्कि यह पूरे देश को एक सामान्य सूत्र में जोड़ता है। सभी लोग कभी न कभी रेलगाड़ी से यात्रा कर ही चुके होंगे,खिड़की पे बैठ कर स्टेशन पर और रास्तों में बहुत से बोर्ड लगे देखें ही होंगे,सभी में कुछ न कुछ कूट शब्द लिखे होते है,जिनका मतलब हमें नही पता होता,
तो चलिए आज से एक श्रृंखला की शुरुआत करते है जिसमें हम सब रेलवे के इन रहस्यों को जानेंगे।
और ये सभी आपके लिए किस प्रकार से आवश्यक हैं इनके बारे में भी चर्चा करेंगे।

क्या होता है इनका मतलब?
आप सभी ने पटरियों के किनारे लगे बिजली के खंभों को तो देखा ही होगा,
उसमे धातु की एक पट्टिका में कुछ अंक लिखे रहते हैं, सामान्य नागरिक इन अंको का अर्थ नही समझ पाते जबकि इन अंकों के बारे में जानना सभी को बहुत आवश्यक होता है ,
आइये जानते है रेलवे की रोचक जानकारी में आप सभी के लिये क्यों आवश्यक हैं,
और इन अंको का मतलब क्या होता है।
दरअसल ये संख्या किलोमीटर संख्या को दर्शातें हैं, और यह रेलवे के लिए पहचान का कार्य करते हैं,
एक किमी° में कितनी होती ही संख्या?
आइये इस जानकारी को विस्तार से जानते हैं।
अब पूरे भारत मे लगभग लगभग सभी जगह रेलवे का विद्युतीकरण किया जा चुका है,पटरी के एक किनारे विद्युत तारों के सहारे के लिए खम्भे लगे होते हैं, 1 km की दूरी में दोनो तरफ के कुल खम्भों की संख्या 28-30 होती है,स्टेशन पर इनकी संख्या बढ़ कर 40-42 हो जाती है।
एक तरफ के खंभों की संख्या सम ,तथा दूसरे तरफ विषम होती है,
जैसे किसी खम्भे पे लिखा है 1245/14 तो इसका मतलब है कि km संख्या 1245 के 14वें खम्भे पर।

यह आपके लिए कैसे महत्वपूर्ण है?
चलिए जानते है ,जैसे आप किसी यात्रा पर ट्रेन से निकले हैं,और रास्ते मे आपका मोबाइल आपके हाथ से छूट कर गिर जाता है,ऐसी स्थिति में परेशान होने की आवश्यकता नही है,सब्सव पहले आप चलती गाड़ी से खम्बे की संख्या नोट कर लें और इसकी सूचना जीआरपी/आरपीएफ को दें,
रेलवे की रोचक जानकारी
इंजीनियरिंग विभाग का कोई न कोई कर्मचारी 24 घंटे पटरियों पर मौजूद रहता है,
हाँ इसमें अचम्भित होने की आवश्यकता नही ,यह सच है,पूरे भारत की पटरियों की प्रतिदिन निगरानी इंजीनियरिंग विभाग द्वारा की जाती है जिससे कि रेल दुर्घटना को समय रहते रोका जा सके,इन्हें ऑरेंज आर्मी भी कहा जाता है,या फिर रेलवे के रीढ़ की हड्डी।
आपकी सूचना के आधार पर मोबाइल को ढूंढ कर स्टेशन मास्टर तक पहुंचा दिया जाएगा आप स्टेशन जाकर अपना मोबाइल प्राप्त कर सकते हैं।
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मिलते है अगले लेख में एक नई जानकारी के साथ
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