Ekadashi kab hai : 2023 में कब कब और किस दिन रखा जाएगा एकादशी व्रत जाने यहाँ👇👇

Ekadashi kab hai : 2023 में कब कब और किस दिन रखा जाएगा एकादशी व्रत जाने यहाँ👇👇


Ekadashi kab hai :2023 हिन्दू धर्म में एकादशी एक विशेष तिथि के रूप में जानी जाती है यह तिथि भगवान श्री विष्णु की अतिप्रिय तिथि है,इसीलिए इस तिथि को अधिकतर लोग उपवास रखकर भगवान की उपासना करते हैं,प्रत्येक मास में दो बार एकादशी की तिथि आती है,प्रत्येक बार की एकादशी का एक विशेष महत्व होता है,जैसे पित्रदा एकादशी, कामदा एकादशी आदि।
आज हम सब इस लेख में हम जानेंगे कि वर्ष 2023 में किस माह में कौन सी तारीख को एकादशी मनाई जाएगी।

Ekadashi kab hai

जनवरी में एकादशी कब है?

2 जनवरीसोमवारपुत्रदा एकादशी
18 जनवरीबुधवारषट्तिला एकादशी(उदयातिथि)

फरवरी में एकादशी कब है?

1बुधवारजया एकादशी
16गुरुवारविजया एकादशी

मार्च में एकादशी कब है?

03शुक्रवारआमलकी एकादशी(सुबह 9:11तक)
18शनिवारपापमोचनी एकादशी(सुबह 11:14तक)

अप्रैल में एकादशी कब है?

1शनिवारकामदा एकादशी
16रविवारवरुथिनी एकादशी

मई में एकादशी कब है?

1सोमवारमोहिनी एकादशी
15सोमवारअपरा एकादशी
31बुधवारनिर्जला एकादशी

जून में एकादशी कब है?

14बुधवारयोगिनी एकादशी
29गुरुवारदेवशयनी एकादशी

प्रमुख व्रत और त्योहार कब हैं ? जाने यहाँ

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13गुरुवारकामिका एकादशी
29शनिवारपद्मिनी एकादशी(दिन में 1:05तक)

अगस्त में एकादशी कब है?

12शनिवारकमला एकादशी
27रविवारश्रावण पुत्रदा एकादशी

सितम्बर में एकादशी कब है?

10रविवारअजा एकादशी
25सोमवारजलझूलनी एकादशी

अक्टूबर में एकादशी कब है?

10मंगलवारइंदिरा एकादशी
25बुधवारपापांकुशा एकादशी

नवम्बर में एकादशी कब है?

9गुरुवाररम्भा एकादशी(10:42तक)
23गुरुवारदेवउठनी एकादशी

दिसंबर में एकादशी कब है?

8शुक्रवारउत्पन्ना एकादशी
23शनिवारमोक्षदा एका●(7:12amतक)

गणेश चतुर्थी व्रत

एकादशी व्रत का महत्व-

एकादशी व्रत रहने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, एवं क्षमायोग्य पापों के पश्चाताप करने से पाप से मुक्ति मिलती है,यदि कोई इस तिथि को उचित विधिविधान से व्रत रहकर पूजापाठ करे तो उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है,एवं इस जीवनोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

एकादशी व्रत पूजन विधि-

सुबह प्रसन्न चित होकर उठें,और स्नान इत्यादि से निवृत्त हो जाएं,
भगवान विष्णु की प्रतिमा का जलाभिषेक करें,और तुलसीदल एवं पुष्प अर्पित करें।
इसके बाद दीप प्रज्वलित कर के भगवान की आरती करें।
और आरती के बाद भगवान को भोग लगाएं।
इसके बाद पूरे दिन व्रत रहकर भगवान में अधिक से अधिक मन लगाएं।
व्रत में आवश्यकता अनुसार ही कुछ ग्रहण करें।

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