Ganesh chaturthi vrat katha 2023 । ganesh chaturthi essay

Ganesh chaturthi vrat katha गणेश चतुर्थी व्रत कथा हिन्दू कैलेंडर के अनुसार प्रतिवर्ष भादों माह की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है।
प्राचीन धार्मिक मान्यतानुसार इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
आगे लेख में हम सब जानेंगे कि क्या है गणेश चतुर्थी व्रत कथा,तथा कैसे भगवान गणेश बने प्रथम पूज्य?
जानने के लिए नीचे लेख पढ़ते रहें।👇👇

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गणेश चतुर्थी हिंदुओं के खास त्योहारों में से एक है,यह वर्षा ऋतु का प्रमुख त्योहार है।। प्रतिवर्ष भादों मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है,प्राचीन मान्यतानुसार इसी दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था,पूरे भारतवर्ष में यह त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
यह पूजा 10 दिन चलती है,भक्तजन भगवान गणेश को प्रतिमा स्वरूप घर बुलाते हैं तथा गणपति बप्पा मोरया की ध्वनि से वातावरण गूंज उठता है। श्रद्धा पूर्वक भगवान की आरती उतारी जाती है, एवं प्रसाद बांटा जाता है,

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तथा 10 दिनों तक सुबह शाम हर घर गली मोहल्ले में लगे मंडपों में भगवान की आरती उतारी जाती है,यह कार्यक्रम चतुर्दशी तक चलता है,चतुर्दशी के दिन भव्य नगर यात्रा निकाली जाती है ,और ढ़ोल नगाड़ों के साथ भगवान की प्रतिमा को नगर भ्रमण कराया जाता है।

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तत्पश्चात भगवान की प्रतिमा से अगले साल पुनः आने के वादे के साथ भगवान की प्रतिमा को विसर्जित कर दिया जाता है, प्रतिमा विसर्जन के बाद यह त्योहार एक वर्ष के लिए समाप्त हो जाता है।
वैसे तो प्रति माह कृष्णपक्ष की चतुर्थी की गणेश जी का पूजन व व्रत किया जाता है, पर भादों मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि ही गणेश चतुर्थी कहलाती है,इसे गणेश जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

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Ganesh chaturthi vrat katha –
प्रचलित श्री गणेश कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं से घिरे थे तभी वह मदद मांगने भगवान श्री भोलेनाथ के पास आये उस समय भोलेनाथ सपरिवार कैलाश पर विराजमान थे।

देवगण की बात सुनकर भोलेनाथ ने भगवान श्री कार्तिकेय तथा भगवान श्री गणेश से पूछा कि तुम दोनों में इस कार्य के लिए कौन सक्षम है? दोनों लोगों ने स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया।
इस पर भगवान ने परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में जो इस संसार का चक्कर लगाकर पहले आयेगा,वही देवताओं की मदद करने जाएगा।
भगवान शिव की बात सुनते ही भगवान कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठ परिक्रमा के लिए निकल पड़े,परंतु भगवान गजानन सोंच में पड़ गए कि चक्कर तो लगा लूं पर इस चूहे से कैसे?

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तभी उन्होने विचार किया और माता-पिता की सात बार परिक्रमा कर बैठ गए।
जब भगवान कार्तिकेय परिक्रमा कर लौटे तो भगवान गणेश को कैलाश पर ही पाया।
भगवान भोलेनाथ के पूंछने पर गणेश भगवान बोले माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं, फिर संसार के चक्कर लगाने का क्या फायदा?
यह सुनकर सभी बहुत प्रसन्न हुए,तथा भगवान गणेश को देवताओं की मदद को भेजा औऱ आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्ध्य देगा उसके समस्त ताप दूर हो जाएंगे,तथा इस व्रत को करने वाले को जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।

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Faqs👇

  1. प्रश्न-2023 में गणेश चतुर्थी कब मनाई जाएगी? उत्तर-19 सितंबर
  2. प्रश्न- गणेश चतुर्थी का उचित समय क्या होगा? उत्तर-इस साल में गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से आरंभ होगी.
  3. प्रश्न-गणेश चतुर्थी व्रत में क्या खाएं? उत्तर-फल एवं जूश,साबूदाने की खीर,इत्यादि…
  4. व्रत के दौरान खूब पानी पीते रहें।

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